एन.सी.सी. एवं एन.एस.एस. के विद्यार्थियांे के जीवन कौशल व्यवहार का अध्ययन

 

डाॅ. अर्चना गोमास्ता1, डाॅ. (श्रीमती) कविता वर्मा2

1शोधार्थी, सहायक प्राध्यापक (शिक्षा विभाग) दुर्गा महाविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़)

2सहायक प्राध्यापक (शिक्षा विभाग), कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भिलाई नगर (छत्तीसगढ़)

ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू ंतबीतचत/हउंपसण्बवउए अमतउंण्वउणंअपजं/हउंपसण्बवउ

 

।ठैज्त्।ब्ज्रू

प्रस्तुत शोध का उद्देश्य महाविद्यालयीन एन.सी.सी. एवं एन.एस.एस. के विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार का अध्ययन करना है। इस अध्ययन हेतु न्यादर्श के रुप में रायपुर शहर के शासकीय और अशासकीय महाविद्यालयों में स्नातक स्तर पर अध्ययनरत 600 विद्यार्थियों जो इन उभय संगठनों के सदस्य है, को गैर अनुपातिक स्तरीकृत यादृच्छिक न्यादर्श द्वारा चयनित किया गया है। उपकरण के रुप मंे जीवन कौशल के आयामों पर आधारित स्वनिर्मित प्रश्नावली का उपयोग कर प्रदत्त संकलन किया गया। प्राप्त प्रदत्तों का विश्लेषण 222 फैक्टोरियल डिजाइन का प्रयोग कर प्रसरण विश्लेषण अनोवा ;।छव्ट। थ्.त्ंजपवद्ध द्वारा परिणाम प्राप्त किया गया। इस अध्ययन से यह परिणाम प्राप्त हुआ कि जीवन कौशल व्यवहार के संदर्भ में शासकीय महाविद्यालयों के विद्यार्थी अशासकीय महाविद्यालयों के विद्यार्थियों से श्रेश्ठ एवं एन.सी.सी. के विद्यार्थी एन.एस.एस. के विद्यार्थियों से श्रेश्ठ एवं उच्च पाए गए तथा लिंग के संदर्भ में कोई अंतर नहीं पाया गया।

 

ज्ञम्ल्ॅव्त्क्ैरू  एन.सी.सी., एन.एस.एस., जीवन कौशल

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रस्तावनाः-

किसी भी राष्ट्र के युवा उस राश्ट्र की सबसे बहुमूल्य सम्पत्ति और धरोहर होते हैं। वे राष्ट्र के भविष्य निर्माता, नेतृत्वकर्ता, संचालनकर्ता, विकास के प्रतीक, उत्साही और ऊर्जा के स्त्रोत होते हैं। शिक्षा का उद्देश्य क्या केवल किताबी ज्ञान देना या नौकरी के द्वार तक पहुँचाने का जरिया रह गया है। वस्तुतः शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगींण विकास कर उसे सफलतापूर्वक जीवन जीने योग्य बनाना है। जब युवा भटकाव के रास्ते पर जाने लगे तो सम्पूर्ण समाज का दायित्व है कि वो उन्हें सही रास्ते पर लाकर देश समाज परिवार के प्रति निश्ठावान बनाए। विद्यार्थियांे मंे निहित विभिन्न मानवीय गुणांे जैसे नियमितता, आत्म नियंत्रण, कर्तव्य बोध, सेवा भावना, उत्तरदायित्व की भावना को उभारने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में कुछ उभय संगठन जैसे एन.सी.सी., एन.एस.एस., स्काउट, गाइड आदि लगातार कार्यरत है जिनका उद्देश्य युवा ऊर्जा को समाज और राष्ट्र सेवा मंे उपयोग करना है। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी का अटल विश्वास था कि जब तक युवा वर्ग को उनकी जिम्मेदारी का एहसास नहीं कराया जाएगा तब तक उनका शिक्षित होना निरर्थक है। इन्हीं उद्देश्यांे को ध्यान में रखकर इन उभय संगठनांे को विद्यालय महाविद्यालय स्तर पर स्थान दिया गया है। शिक्षा आयोग (1964-66) के अनुसार ’’भारत के भविष्य का निर्माण उसकी कक्षाआंे मंे हो रहा है। शिक्षा का वास्तविक एवं आदर्श दायित्व है कि वह छात्रांे को जीवन की चुनौतियांे का सामना करने के लिए तैयार रखें। शिक्षा ऐसी हो जो जीवन कौशल सामाजिक मूल्यों से जुड़ी हुए हो। जीवन कौशल जैसे स्वजागरुकता, परानुभूति, तार्किक सोच, रचनात्मक सोच, निर्णय क्षमता, समस्या निवारण, प्रभावी सम्प्रेशण, अन्तर्वैयक्तिक संबंध, तनाव का सामना करना, भावना पर नियंत्रण पाना उनसे जोड़ने वाली शिक्षा दी जाए। मूल्य आधारित शिक्षा सभी प्रकार की कट्टरता, दुर्भावनाओं, हिंसा, समस्याआंे आदि से लड़ने मंे मद्दगार साबित होगी। महात्मा गांधी (1933) के अनुसार ’’सही शिक्षा तो छात्र-छात्राओं मंे अंतर्निहित सर्वोत्तम गुणांे को प्रकाशित करना है। केवल अव्यवस्थित और अवांछित सूचनाएँ विद्यार्थियांे के दिमाग मंे भर देने से ऐसा कभी नहीं हो सकता। यह तो उनके मन पर निश्प्राण बोझ बनकर उनकी समग्र मौलिकता को नष्ट कर देता है और उन्हंे यंत्रवत बना देता है। क्रोनिन (1996) ने  अपने अध्ययन में पढ़ने मंे असमर्थ बच्चांे के लिए जीवन कौशल पाठ्यक्रम एवं आधुनिक साहित्य का पुनरावलोकन कर भावी अनुसंधान के लिए सुझाव दिए।

 

फिट्जपेट्रिक (2005) ने अध्ययन के निश्कर्ष मंे जीवन कौशल मंे दीर्घ कालीन प्रभाव सदस्यता विद्यमान पाया जिसका मापन किया जा सकता है। किन्ग्सनार्थ एवं अन्य (2007) ने शारीरिक रुप से असक्षम युवकों के जीवन मंे स्वतंत्र रुप से कार्य करने की तैयारी मंे जीवन कौशल के प्रशिक्षण के महत्व का निश्कर्ष निकाला। स्टीडली एवं अन्य (2008) ने निश्कर्ष में पाया कि कौशलांे विशेषज्ञांे के समूह परिवार के सदस्यांे के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाकर बालकों के सामाजिक कौशल उनकी शैक्षिक उपलब्धि मंे विकास किया जा सकता है। कोलोसवा एवं लेसोयो ;2009द्ध  ने किशोरों के जीवन कौशल पर आधारित निश्कर्ष में सरकार को जीवन कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम को क्रियान्वित करने का दायित्व दूरवर्ती ओपन स्कूल को सौंप देने का निश्कर्ष निकाला। यादव एवं इकबाल (2009) ने जीवन कौशल के प्रशिक्षण से सकारात्मक परिवर्तन लाए जाने का निश्कर्ष निकाला। श्रीकला एवं कुमार (2010) ने अपने अध्ययन के निश्कर्ष में जीवन कौशल द्वारा सकारात्मक परिवर्तन लाकर कक्षा के अंदर के व्यवहार एवं अन्तः क्रिया में इसके प्रभाव को महसूस किया। अपर्णा राखी (2011) ने अपने निश्कर्ष में शिक्षा पाठ्यक्रम के अंतर्गत जीवन कौशल के शिक्षा को शामिल करने का कहा। अवस्थी एवं चंद्रकुमारी (2012) ने जीवन कौशल शिक्षा को योजनाबद्ध तरीके से लागू करे जिससे बालक का सर्वांगींण विकास हो यह निश्कर्ष निकाला। खेड़ा एवं खोसला (2012) ने जीवन कौशल एवं स्वभावना मंे सकारात्मक अन्तः सम्बंध का निश्कर्ष निकाला। पंडित (2013) ने समस्त जीवन कौशल क्रियाआंे का प्रयोग कर शिक्षक-शिक्षण अधिगम प्रक्रिया मंे विद्यार्थियांे की सहभागिता को बढ़ाने का निश्कर्ष निकाला। सरकार एवं मार्गेज (2015) ने उदारता कौशल के विकास मंे एन.सी.सी. की भूमिका के अध्ययन में यह निश्कर्ष पाया जीवन के हर क्षेत्र में आत्मविश्वास, सक्षम नेतृत्व क्षमता, चेतना के विकास, साहसिक अभियान द्वारा चेतना जागृत करने हेतु एन.सी.सी. का प्रशिक्षण को अनिवार्य करने का निश्कर्ष निकाला।

 

संबंधित शोध सभीक्षा से स्पष्ट होता है कि एन.सी.सी. और एन.एस.एस. के विद्यार्थियों के साथ उपयुक्त चर जीवन कौशल के मध्य अल्प शोध हुए है। प्रस्तुत अध्ययन इस कमी को कुछ हद तक पूरा करने में सहायक होगा एवं शैक्षिक एवं व्यावहारिक प्रश्नों के समाधान प्रस्तुत करेगा। प्रस्तुत अध्ययन में शोध से प्राप्त परिणाम शिक्षकों, विद्यालयों, विद्यार्थियों शिक्षा नीति-निर्देशकों के मार्ग दर्शन के लिए महत्वपूर्ण होगा।

 

अध्ययन का उदे्श्य -

महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर महाविद्यालय प्रकार, छात्र संगठन समूह, एवं लिंग का मुख्य एवं अन्तःक्रियात्मक प्रभाव ज्ञात करना

 

परिकल्पना -

महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तांकों पर महाविद्यालय प्रकार, छात्र संगठन समूह एवं लिंग का स्वतंत्र एवं अन्तःक्रियात्मक प्रभाव नहीं पाया जाएगा।

 

परिसीमा -

अध्ययन के लिए रायपुर शहर के शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालय में अध्ययनरत स्नातक स्तर के विद्यार्थी जो एन.सी.सी. और एन.एस.एस. में हैं, लिया गया है।

 

शोध की विधि -

प्रस्तुत शोध में सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया।

 

न्यादर्ष -

प्रस्तुत शोध अध्ययन हेतु गैर अनुपातिक स्तरीकृत याद्धच्छिक न्यादर्ष द्वारा 600 विद्यार्थियों का चयन किया गया। जिसमें 300 एन.सी.सी. एवं 300 एन.एस.एस. के छात्र-छात्राओं यथा शासकीय महाविद्यालयांे के 150 एन.सी.सी. के छात्र-छात्राओं 150 एन.एस.एस. के छात्र-छात्राओं, अशासकीय महाविद्यालयांे के 150 एन.सी.सी. के छात्र-छात्राओं. 150 एन.एस.एस. के छात्र-छात्राओं को लिया गया।

 

उपकरण -  

प्रस्तुत अध्ययन में शोध कर्ता द्वारा जीवन कौशल के दस आयामों पर आधारित स्वनिर्मित उपकरण का प्रयोग किया गया है जिसमें 10 आयाम यथा स्वजागरुकता, परानुभूति, तार्किक सोच, रचनात्मक सोच, निर्णय क्षमता, समस्या निवारण, प्रभावी सम्प्रेषण, अंतर्वैयक्तिक संबंध, तनाव का सामना करना एवं भावना पर नियंत्रण पाना हैं। यह परीक्षण पूर्णतः विश्वसनीय तथा वैध पाया गया जिनके सहसम्बंध गुणांक .79 से लेकर .82 तक पाए गए जो सार्थक थे।

 

सांख्यिकी प्रयोग -

प्रस्तुत शोध-अध्ययन में शून्य परिकल्पना से प्राप्त प्रदत्तों का विश्लेषण, मध्यमान एवं प्रमाणिक विचलन ज्ञात कर अंतःक्रियात्मक परिकल्पना हेतु प्राप्त प्रदत्तों का विश्लेषण 222 फैक्टोरियल डिजाइन का प्रयोग कर प्रसरण विश्लेषण अनोवा ;।छव्ट। थ्.त्ंजपवद्ध द्वारा प्राप्त किया गया।

 

 

 

 

 

परिणाम एवं विवेचनाः

तालिका क्रमांक 1 सम्पूर्ण परीक्षण पर प्रसरण विश्लेषण का सारांश

क््रमांक        स्त्रोत   वर्गो का योग स्वतंत्रता की कोटी  मध्यमान वर्ग                 एफ अनुपात

1                महाविद्यालय प्रकार ;।द्ध 6091ण्31    1     6091ण्31                 5ण्26’

2                छात्र संगठन समूह ;ठद्ध  11477ण्81   1     11477ण्81                 9ण्90’

3                लिंग समूह ;ब्द्ध   345ण्42     1     345ण्42     0ण्30 छै

4

;पद्ध           अन्तरूक्रिया प्रभाव

प्रथम क्रम                    

;ंद्ध           461ण्25     1     461ण्25     0ण्40 छै

;इद्ध           ब् 222ण्35     1     222ण्35     0ण्19 छै

;बद्ध           ब् 659ण्93     1     659ण्93     0ण्57 छै

;पपद्ध          द्वितीय क्रम

ब्      2576ण्20     1     2576ण्20    2ण्22 छै

5                 686137ण्00  592   1159ण्02   

                 योग   707971ण्27  599        

त्र  0ण्05 स्तर पर सार्थक       ’’त्र 0ण्01  स्तर पर सार्थक           छै त्र सार्थक नहीं हैं

 

 

 

 

 

स्वतंत्र प्रभावः

महाविद्यालय प्रकारः

तालिका का सावधानी पूर्वक निरीक्षण करने से स्पष्ट होता है कि विद्यार्थियों के महाविद्यालय प्रकार जीवन कौशल व्यवहार पर सार्थक प्रभाव डालती है। क्यांेकि इस कारक के लिए एफ का मान 5.26 स्वतंत्रता की कोटि ख्कत्रि1ध्592, 0.05 स्तर पर सार्थक है इस प्रकार कहा जा सकता है कि विद्यार्थियों के महाविद्यालय प्रकार जीवन कौशल व्यवहार को सार्थक रुप से प्रभावित करता है। अतः परिकल्पना महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तांकों पर महाविद्यालय प्रकार का स्वतंत्र प्रभाव नहीं पाया जाएगा, अस्वीकृत होती है।

 

पुनः यह ज्ञात करने के लिए कि क्या महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के महाविद्यालय प्रकार पर जीवन कौशल व्यवहार घनात्मक रुप से प्रभाव डालती है ? इस उद्देश्य हेतु महाविद्यालय प्रकार पर जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तांकों के मध्यमानों की तुलना की गई। मध्यमान मूल्यों को निम्न तालिका में प्रस्तुत किया गया है।

 

तालिका क्रमांक 2 विद्यार्थियों के महाविद्यालय प्रकार के आधार पर जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तांकों के मध्यमान मूल्य

महाविद्यालय प्रकार         

शासकीय         300    339ण्46

अशासकीय       300    333ण्08

 

उपरोक्त तालिका में प्रदर्शित शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार के प्राप्तांकों के मध्यमान मूल्यों से स्पश्ट होता है कि शासकीय महाविद्यालय के विद्यार्थियों का जीवन कौशल व्यवहार ;डत्र339ण्46द्ध अशासकीय महाविद्यालय के विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार ;डत्र333ण्087द्ध से सार्थक रुप से श्रेश्ठ है। अर्थात शासकीय महाविद्यालय के विद्यार्थियों में  जीवन कौशल व्यवहार अशासकीय महाविद्यालय के विद्यार्थियों की अपेक्षा श्रेश्ठ पाए गए।

 

छात्र संगठन समूह -

प्रसरण विश्लेशण तालिका से स्पश्ट होता है कि छात्र संगठन समूह का जीवन कौशल व्यवहार पर सार्थक प्रभाव पड़ता है क्योंकि इस व्यवहार के लिए एफ का मान 9ण्90 स्वतंत्रता की कोटि ;कत्रि1ध्592द्ध 0.01 स्तर पर सार्थक है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि छात्र संगठन समूह का प्रकार विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार को सार्थक रुप से प्रभावित करता है अतः परिकल्पना महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार के प्राप्तांकों पर छात्र संगठन समूह का स्वतंत्र प्रभाव नहीं पाया जाएगा, अस्वीकृत होती है।

 

पुनः यह ज्ञात करने के लिए कि छात्र संगठन समूह विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर धनात्मक रुप से प्रभाव डालती है ? इस हेतु छात्र संगठन समूह के दो स्तरों पर जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तांकों के मध्यमानों की तुलना की गइ्र्र मध्यमान मूल्यों को निम्न तालिका में प्रस्तुत किया गया है।

 

तालिका क्रमांक 3 छात्र संगठन समूह के आधार पर जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तांकों के मध्यमान मूल्य

छात्र संगठन समूह    

एन.सी.सी.       300    340ण्6475

एन.एस.एस.     300    331ण्90

 

उपरोक्त तालिका से स्पष्ट होता है कि एन.सी.सी. के महाविद्यालयीन विद्यार्थियों का जीवन कौशल व्यवहार ;डत्र340ण्6475द्ध एन.एस.एस. के विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार ;डत्र331ण्90द्ध की अपेक्षा सार्थक रुप से श्रेश्ठ है।

 

लिंग -

लिंग का महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर क्या प्रभाव पड़ता है ? इस हेतु  प्रसरण विश्लेषण करने से ज्ञात होता है कि लिंग कारक के लिए एफ का मान 0.30 स्वतंत्रता की कोटि ;कत्रि1ध्592द्ध 0.05 स्तर पर सार्थक नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार में लिंग के आधार पर स्पष्ट अंतर दृष्टिगोचर नहीं होता है अतः परिकल्पना महाविद्यालयीन स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर लिंग का स्वतंत्र प्रभाव नहीं पाया जाएगा, स्वीकृत होती है।

 

तालिका क्रमांक 4 लिंग के आधार पर जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तांकों के मध्यमान मूल्य

लिंग                 

छात्र             300    335ण्515

छात्रा             300    337ण्0325

उपरोक्त तालिका से स्पष्ट होता है कि छात्राआंे का जीवन कौशल व्यवहार ;डत्र337ण्0325द्ध छात्रांे के जीवन कौशल व्यवहार ;डत्र335ण्515द्ध की अपेक्षा सार्थक रुप से श्रेष्ठ हैं।

 

अंतःक्रियात्मक प्रभाव -

द्विकारक अन्यान्योश्रित प्रभाव -

महाविद्यालय प्रकार छात्र संगठन समूह -

महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर उनके महाविद्यालय प्रकार एवं छात्र संगठन समूह के संयुक्त प्रभाव का अध्ययन करने हेतु तालिका क्रमांक 1 के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि महाविद्यालय प्रकार एवं छात्र संगठन समूह का संयुक्त प्रभाव विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर सार्थक रुप से नहीं पड़ता है, क्यांेकि इन कारकों के संयुक्त प्रभाव के लिए एफ का मान ख्0ण्40 ;1ध्592द्ध, 0.05 स्तर पर सार्थक नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि महाविद्यालय प्रकार एवं छात्र संगठन समूह के विभिन्न स्तर विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार में उत्पन्न विचलनशीलता के लिए उत्तरदायी नहीं है अतः परिकल्पना महाविद्यालयीन स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तंाकों पर महाविद्यालय प्रकार एवं छात्र संगठन समूह का अंतःक्रियात्मक प्रभाव नहीं पाया जाएगा, स्वीकृत होती है।

 

महाविद्यालय प्रकार लिंग -

महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर उनके महाविद्यालय प्रकार एवं लिंग के संयुक्त प्रभाव का अध्ययन करने हेतु तालिका क्रमांक 1 के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि महाविद्यालय प्रकार एवं लिंग का संयुक्त प्रभाव विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर सार्थक रुप से नहीं पड़ता है, क्योंकि इन कारकों के संयुक्त प्रभाव के लिए एफ का मान ख्0ण्19 ;1ध्592द्ध, 0.05 स्तर पर सार्थक नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि महाविद्यालय प्रकार एवं लिंग के मध्य कि अंतःक्रिया विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार में उत्पन्न विचलनशीलता के लिए उत्तरदायी नहीं है अतः परिकल्पना महाविद्यालयीन स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तंाकों पर महाविद्यालय प्रकार एवं लिंग का अंतःक्रियात्मक प्रभाव नहीं पाया जाएगा, स्वीकृत होती है।

 

छात्र संगठन समूह लिंग -

महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर उनके छात्र संगठन समूह एवं लिंग के संयुक्त प्रभाव का अध्ययन करने हेतु तालिका क्रमांक 1 के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि छात्र संगठन समूह एवं लिंग का संयुक्त प्रभाव विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर सार्थक रुप से नहीं पड़ता है, क्योंकि इन कारकों के संयुक्त प्रभाव के लिए एफ का मान ख्0ण्57 ;1ध्592द्ध, 0.05 स्तर पर सार्थक नहीं है, इससे स्पष्ट होता है कि छात्र संगठन समूह एवं लिंग के विभिन्न स्तर विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार में उत्पन्न विचलनशीलता के लिए उत्तरदायी नहीं है अतः परिकल्पना महाविद्यालयीन स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तंाकों पर छात्र संगठन समूह एवं लिंग का अंतःक्रियात्मक प्रभाव नहीं पाया जाएगा, स्वीकृत होती है।

 

त्रिकारकीय अन्यान्योश्रित प्रभाव -

महाविद्यालय प्रकार छात्र संगठन समूह लिंग -

महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर तीनों कारकों यथा महाविद्यालय प्रकार, छात्र संगठन समूह एवं लिंग का क्या संयुक्त प्रभाव पड़ता है ? इस अध्ययन हेतु तालिका क्रमांक 1 का अवलोकन करने से ज्ञात होता है कि विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार पर तीनों स्वतंत्र चरों  महाविद्यालय प्रकार, छात्र संगठन समूह एवं लिंग की त्रि-पक्षीय परस्पर क्रिया का कोई सार्थक प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि इन कारकों के संयुक्त प्रभाव के लिए प्राप्त एफ का मान ख्2ण्25 ;1ध्592द्ध, 0.05 स्तर पर सार्थक नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि महाविद्यालय प्रकार, छात्र संगठन समूह एवं लिंग विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार में उत्पन्न विचलनशीलता के लिए उत्तरदायी नहीं है अतः परिकल्पना महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के जीवन कौशल व्यवहार प्राप्तंाकों पर महाविद्यालय प्रकार, छात्र संगठन समूह एवं लिंग का अंतःक्रियात्मक प्रभाव नहीं पाया जाएगा, स्वीकृत होती है।

 

 

 

 

 

शैक्षिक उपयोगिता -

शिक्षा के क्षेत्र मंे जीवन कौशल विकास के लिए कक्षा-शिक्षण के अलावा छात्रांे के सर्वांगीण विकास हेतु एन.सी.सी. तथा एन.एस.एस. की योजनाआंे को लागू किया गया है। दोनांे ही योजनाआंे का मुख्य उद्देश्य छात्रांे मंे आत्मविश्वास, सेवाभाव, कर्तव्यबोध, जीवन जीने की कला, निडरता, उत्तरदायित्व की भावना, आत्म नियंत्रण, मानवता की सेवा आदि जीवन कौशलांे का विकास करना है। यद्यपि दोनांे ही योजनाआंे का क्रियान्वयन तरीका अलग-अलग है तथापि मूल उद्देश्य के फलस्वरुप प्रस्तुत शोध मंे एन.सी.सी. के विद्यार्थी एन.एस.एस. विद्यार्थियों की तुलना में जीवन कौशल व्यवहार के संदर्भ मंे उच्च पाए गए। अतः यह अध्ययन युवा वर्ग के साथ जिम्मेदार नागरिकांे के लिए भी शिक्षा का माध्यम बनेगा। जीवन व्यवहार में कौशल परम आवश्यक है। एन.सी.सी. एवं एन.एस.एस. के साथ जीवन कौशल की शिक्षा को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में अनिवार्य रुप से सम्मिलित किया जाना चाहिए।

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Received on 14.08.2018                Modified on 22.09.2018

Accepted on 28.09.2018            © A&V Publications All right reserved

Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(3):319-324.